कुछ हर्फों
और कुछ लफ्जों से
मैंने बुना था एक ताना बाना !!
और ज़ज्बातों की रौ में,
लिखा था एक फ़साना !!
मेरे अक्स का एक नशा है -
जो तेरे बदन का बोसा है !!
खुश आमदीद है तेरा....
मेरे इस ताने बाने में -
सबसे पहला तेरा आगाज़ हुआ...
तेरी झुकी पलकों में॥
अपने अक्स के नशे का एहसास हुआ ...!!!
Monday, June 30, 2008
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