Monday, June 30, 2008

खुश आमदीद

कुछ हर्फों
और कुछ लफ्जों से
मैंने बुना था एक ताना बाना !!
और ज़ज्बातों की रौ में,
लिखा था एक फ़साना !!
मेरे अक्स का एक नशा है -
जो तेरे बदन का बोसा है !!
खुश आमदीद है तेरा....
मेरे इस ताने बाने में -
सबसे पहला तेरा आगाज़ हुआ...
तेरी झुकी पलकों में॥
अपने अक्स के नशे का एहसास हुआ ...!!!

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