****************
हर एक बूँद से बढ़ती है सिहरन मेरे बदन की
पूछो बारिश की इन बूंदों को मज़ा आता क्या है...???
***************
थोड़ी और पिला साकी के मैं होश में हूँ अभी
जिद ना कर जानने की तुझसे मेरा नाता क्या है ??
*****************
जला ही दूंगा आशियाँ मेरा जो तुम न रही,
एक मकाँ के सिवा मेरा जाता क्या है...??।
****************
पूछूंगा मैं भी खुदा से एक दिन जरूर ।
यूँ रह रह कर, गैरत मेरी जगाता क्या है ??
***************
हैराँ न हो यूँ, देख अक्स अपना आईने में.....
ये मेरी नज़र है, और नज़र आता क्या है ??
***************
Saturday, June 21, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment