Friday, June 20, 2008

नहीं कहा था मैंने तुम्हे...???

उम्र के फासलों से मेरे तज़ुर्बात कम हैं..
छोड़ो तुम्हारी अपनी खाम खयाली में हम हैं..!!
वादों इरादों जुबां की कीमत नहीं है मेरे लिए..
हर नासूर का अल्फाज़ बस वक्ती मरहम है..!!
कहा ना - यूँ ऐतबार न कर मुताल्लिक़-ए-वफ़ा..
किसी भी रिश्ते में बंध जाऊं, तेरा वहम है..!!
मयखानों की तहजीब हम से है..
मुकम्मल चर्चा ये आम अब तो सर-ए-बज्म है..!!!
तमाम तोहमतों का तेरे सेहरा बनाऊंगा..
मुस्कुराता नज़र न आऊं तेरा भरम है..!!
छोड़ दिया है सब अब तेरे उस खुदा के हाथ
ज़र्द पत्तों पे बिखरी जिन्दगी मेरी शबनम है...!!
नही कहा था मैंने तुम्हे -ये सब खुदकुशी से पहले...!!!
21 January 2008; 2355 Hrs California

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