Friday, June 20, 2008

रिश्ता



ये क्या कह रहे हो

के बज्म-ए-जहाँ में,

हकीकत में कोई

होता नहीं किसी का...

जहाँ में ये रिश्ता -

हमारा तुम्हारा,

हकीकत नहीं

तो फिर और क्या है..???

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