यादों के मकाँ में
सर्द हवाएं ठहरी हुयी हैं.
दर-ओ-दीवार पे कुछ
खूबसूरत लम्हे चंस्पा हैं..
पूरे 'घर' में -
पुराना मौसम महक रहा है...
कुछ खिलखिलाती आवाजें
छत से चिपकी हुयी
टुकुर-टुकुर ताक रही हैं...
मेरे इस मकाँ में -
एक कोने से दुसरे कोने
भटकते देख रहा हूँ -
'रिश्ते' को -
तलाश में दो अदद इंसान की...!!!!
Feb 10, 2008, 1.00 am Indore India
Friday, June 20, 2008
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