Saturday, June 21, 2008

साथ

दीपक की ज्योति,
भली-भांति होती है भिज्ञ,
अपने क्षणिक जीवन से!!
किन्तु,
फिर भी -
जब तक जीती है -
अंधेरों के विरुद्ध
लड़ती हुयी जीती है !!
मैं भी होना चाहता हूँ -
वही ज्योति,
क्या तुम मेरा साथ दोगे -
तेल और बाती बन
सिर्फ सुबह होने तक।

1135 pm 2nd Jan 2008 California

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