Thursday, December 4, 2008

स्वेटर

बरसों पहले -
लड़कपन के दिनों में
मै देखता था ख्वाब तुम्हारे.
और तुम -
मेरे ख़्वाबों को बुना करती थी.
अक्सर मै हैरान हो उठता था
कैसे ??
कैसे तुम मेरे ख़्वाबों को बुन सकती हो !!!
जैसे स्वेटर बुनते वक्त,
माँ को उँगलियों का भान नहीं होता..
शायद तुम्हे भी
पता न हो कैसे तुम
मुझ में सिहरन पैदा करती हो..
पता नहीं -
वो ख्वाब अधूरे रह गए..
या अधूरे ख्वाब थे..!!!
मेरी पसंद से मेरे लिए बुना गया स्वेटर -
मै कभी पहन नहीं पाया !!!

Nov.14, 2008 Sorrento valley, San Diego

7 comments:

  1. आपका हार्दिक स्वागत है, इसी तरह लिखते रहें, शुभकामनायें… सिर्फ़ एक अर्ज है कि वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, ताकि आसानी से टिप्पणी की जा सके… धन्यवाद…

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  2. सादर अभिवादन बन्धु
    पहले तो हिन्दी ब्लोग्स के नये साथियों मे आपका स्वागत है ,
    तथा एक अच्छी रचना के लिये बधाई स्वीकार करें

    चलिये अपने रचनात्मक परिचय के लिये पिछले दिनो के दुखद दौर मे लिखने मे आये ये २-३ मुक्तक देखें .

    हर दिल मे हर नज़र मे , तबाही मचा गये
    हँसते हुए शहर में , तबाही मचा गए
    हम सब तमाशबीन बने देखते रहे
    बाहर के लोग घर में , तबाही मचा गए

    और

    राजधानी चुप रही ..

    किसलिए सारे जावानों की जवानी चुप रही
    क्यों हमारी वीरता की हर कहानी चुप रही
    आ गया है वक्त पूछा जाय आख़िर किसलिए
    लोग चीखे , देश रोया , राजधानी चुप रही

    और

    हमको दिल्ली वापस दो

    सारा बचपन ,खेल खिलौने ,
    चिल्ला-चिल्ली वापस दो
    छोडो तुम मैदान हमारा ,
    डन्डा - गिल्ली वापस दो
    ऐसी - वैसी चीजें देकर ,
    अब हमको बहलाओ मत
    हमने तुमको दिल्ली दी थी ,
    हमको दिल्ली वापस दो...

    चलिये शेश फ़िर कभी

    आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तज़ार रहेगा
    डॉ . उदय 'मणि '
    684महावीर नगर द्वितीय
    94142-60806
    (सार्थक और समर्थ रचनाओं के लिये देखें )
    http://mainsamayhun.blogspot.com

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  3. आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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  4. तुम्हारा एक ख़ास अंदाज है लिखने का ,जब इसी अंदाज में लिखते हो ,पूरे शबाब पर होते हो.....

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  5. Aapka parichay hi itna kavyamay hai ki aur rachnake baareme kya likhun??Ehsaas aapke andartak mehsoos kara deneki aap kshamata rakhte hain...ab to aksar aaya karungi..aap mano chirparichit lagte hain...kyoki ye ehsaas chirparichit hain....ye wyatha chirparichit hai...
    Mere blogpe aaneka snehil nimantran..
    Kuchh to samayik likha hai jo ek sachhe Hindustaneeki guhaar hai...kuchh panee mere jeevanka safar bayan kar rahe hain....kisee khaas maqsadse shuruaat huee is shrinkhalaki, pathak chahete sawal poochhte gaye aur kadiyan judti gayi..mai koyi lekhika ya kavi nahi...mujhe koyi tachneeki jaankaari nahi ye pehlehi bata dun..! Intezaar hai !
    Anek shubhkamnayen !

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  6. आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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