ग़ालिब ने कहा था संग उठाया था के सर याद आया मगर आप ने यह जो लिखा : रकीबों को भी कहाँ इल्म था.. उनके पत्थर पे लिखे पैगाम का... उसे पढ़ कर कहना पड़ेगा के : संग उठाया था के पैगाम याद आया
Indore MP India, Aliso Viejo Orange County California USA, India
बिखरे पड़े हैं एहसास मेरे..
इन तिनको में जुटे हैं ख्वाब..
इक ज़माना बीत गया है..
होली का मौसम करीब है ...!!!
टिमटिमाते हुये चन्द ख्वाब थे
बरसता भीगता रिश्तों का मौसम था |
इश्क की इम्तेहां हुयी जो उट्ठी सोन्धी सी महक...
यूं पलों में दीवाली भी बीत गयी ...
इक किताब के मानिन्द मैं
पुरजोर अपने तमाम पन्नों को जला बैठा
अल्फाज़ों ने अपने मायने खोये
मै तमाम हर्फ-ब-हर्फ बिखर गया..
लगता है आज मुकम्मल हुआ...!!!!
बहुत खूब दोस्त......
ReplyDeletebahut sundar....
ReplyDeleteNew Post :
मेरी पहली कविता...... अधूरा प्रयास
शुक्रिया अनुराग जी, रोहित.
ReplyDeletevery nice....
ReplyDeleteग़ालिब ने कहा था
ReplyDeleteसंग उठाया था के सर याद आया
मगर आप ने यह जो लिखा :
रकीबों को भी कहाँ इल्म था..
उनके पत्थर पे लिखे पैगाम का...
उसे पढ़ कर कहना पड़ेगा के :
संग उठाया था के पैगाम याद आया
शुक्रिया हैदराबादी साहब..
ReplyDeleteअच्छा लगा...आप तमाशबीनों की भीड़ में से नहीं हैं.
WWWWWWWWWWWWWWWWaaaaaaaaaaaaaaaaWWWWWWW.
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