कमरे के कोने से
धूप का एक छोटा सा टुकड़ा -
अब भी कह रहा है :
अभी दिन ढला नही है..
फिसल गए जो लम्हे
दुआओं कि गिरिफ्त से
उन्हें ढूंढ लाने की कवायद है..
लम्हों की खोज मे..
कभी वक्त से आगे कभी
ख़यालों के पीछे...
बस भागम-भाग चल रही है..!!
January 30, 2008
Friday, February 4, 2011
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